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क्या भारत के प्रधानमंत्री परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं? जानिए इसकी प्रक्रिया

क्या भारत के प्रधानमंत्री परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं? जानिए इसकी प्रक्रिया

नई दिल्ली। परमाणु हथियार दुनिया के सबसे खतरनाक और घातक हथियार माने जाते हैं। इनका उपयोग इतिहास में अब तक केवल एक बार हुआ है, जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के दो शहरों, हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे। इस विनाशकारी घटना के बाद से, परमाणु हथियारों के इस्तेमाल और नियंत्रण को लेकर सभी देशों ने अपनी-अपनी नीतियां विकसित की हैं।

भारत के संदर्भ में, क्या प्रधानमंत्री सीधे तौर पर परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं? आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं।

प्रधानमंत्री के पास नहीं है “न्यूक्लियर बटन”
भारत में प्रधानमंत्री के पास परमाणु बम का बटन होने का आम धारणा सच नहीं है।
भारत, एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति होने के नाते, परमाणु कमान प्राधिकरण (Nuclear Command Authority, NCA) के तहत इस विषय को संचालित करता है।

परमाणु कमान प्राधिकरण की संरचना
भारत में परमाणु हथियारों से जुड़े फैसले NCA के अंतर्गत आते हैं। यह दो प्रमुख परिषदों में विभाजित है:

राजनीतिक परिषद (Political Council):

इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
परमाणु हमले का आदेश देने का अधिकार केवल इसी परिषद के पास है।
कार्यकारी परिषद (Executive Council):

इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) करते हैं।
यह परिषद, राजनीतिक परिषद द्वारा लिए गए फैसलों को लागू करती है।
परमाणु हथियारों की तैनाती और प्रबंधन
भारत में परमाणु हथियारों के प्रबंधन के लिए एक अलग इकाई सामरिक बल कमान (Strategic Forces Command) बनाई गई है।

यह विभिन्न प्लेटफॉर्म्स (जैसे मिसाइल, पनडुब्बी, और विमान) के जरिए परमाणु हथियारों की तैनाती और संचालन का काम करता है।
भारत के पास जल, थल और नभ तीनों माध्यमों से परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता है।
“नो फर्स्ट यूज” पॉलिसी
भारत ने अपनी “पहले प्रयोग न करने” (No First Use) की नीति को अपनाया हुआ है।

इसका मतलब है कि भारत परमाणु हथियारों का उपयोग केवल आत्मरक्षा के लिए करेगा।
यह नीति भारत को एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित करती है।
निष्कर्ष
भारत में परमाणु हमले का निर्णय किसी एक व्यक्ति के हाथ में नहीं है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली राजनीतिक परिषद ही इस फैसले का अधिकार रखती है। यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे संवेदनशील और गंभीर मामलों में कोई जल्दबाजी या गलत निर्णय न हो।

भारत ने परमाणु हथियारों को लेकर सुरक्षा, जिम्मेदारी और संतुलन को प्राथमिकता दी है, जो इसे विश्व मंच पर एक सम्मानित शक्ति बनाता है।

 

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